दहेज......
तेरे इस आंगन में खेली
तितली बन तेरी इस छतपर उडी
मेरी उड्डाण को तू शर्मिंदा ना कर
मुझे दहेज देकर विदा ना कर....
सुबहा ना उठणे पर मां ने डाटा
पर तूने कहां- सोने दे ना उसे
थोडा औरं ज्यादा
मेरी गलतियोंपे अब यु, पर्दा ना कर
मुझे दहेज देकर विदा ना कर....
शादी से इनकार नही मेरा
जानती हुं, मेरी चिंता में हैं मन तेरा....
पर लोगो के सामने अपना दामन
फैलाया ना कर
मुझे दहेज देकर विदा ना कर.....
मेरी हर कोशिश का सहारा तू बना,
मेरी हर मुश्किल राह पर , उंगली पकड
तू संग चला
नाम रोशन करुंगी तेरा,
लेकीन थोडा सब्र तो कर
मुझे दहेज देकर विदा ना कर.....
✍️स्पंदन
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